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*गीत* *गीत*(सावन-घन-16/12) सुंदर काव्य-सृजन हेतु जब, कविगण अति अकुलाएँ। उमड़-घुमड़ घन घिर सावन के- नभ से जल बरसाएँ।। टप-टप करतीं जल-बूँदें सुन, चित्त मुदित अति होता। ...